Facebook
Twitter
WhatsApp
Linkedin
Telegram
New Delhi: BSP President Mayawati waves at supporters during an election campaign rally for the Lok Sabha polls, in New Delhi, Friday, May 10, 2019. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI5_10_2019_000057B)

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष Mayawati जी के Tweeter हैंडल पर 10 लाख फॉलोवर हैं, लेकिन वे 2018 से अभी तक किसी एक भी बहुसंख्यक समुदाय से जुड़े नेता या BSP कार्यकर्ता तक को भी Follow नही करती हैं, वैसे भी (ब्लूट्रिक) वालो का एक अपना ही स्वघोषित बनाया चलन है वे ज्यादातर वेरिफाइड हैंडल को ही Follow करते हैं, जबकि कुछ गिनेचुने नेताओ को छोड़कर, उनमें एक काँग्रेसी सेनानी Alka Lamba हैं जो इस अपवाद से बिल्कुल अलग हैं

लेकिन बात यहाँ बहुजन समाज पार्टी की निजी मुखिया कुमारी मायावती को रही हैं वे तो किसी भी हैंडल को तवज्जो नही देती वह चाहे कितना भी प्रसिद्ध आम्बेडकरवादी विचारधारा का नेता हो, वैसे कई नेताओ के उनके समर्थकों में वेरिफाइड हैंडल है लेकिन सभी को कोई गिनती में नही रखती हैं, रखती तो किसी को Follow भी करती।

तो उनसे इस कोरोना काल मे किसी ग़रीब-मजदूर की मदद की उम्मीद करना ही बेमानी है, लेकिन वों आजकल संघीय-भाजपा समर्थक बनकर लाखो ग़रीबो -मजदूरों उनमें भी लाखों बहुसंख्यक समाज से हैं जो पलायन करके अपने घर गाँव उत्तरप्रदेश इस लॉक डाउन में आ रहें हैं पैदल चलकर भूखे प्यासे जिनकी हर सम्भव मदद काँग्रेस पार्टी वह उसके सभी संगठन मानवीय संवेदना से देशहित समझकर मदद कर रहे हैं,

अब नेपाल ने भारत को दिखाया आँख, कहा कब्जे वाली जमीन किसी भी कीमत पर वापस लेकर रहेंगे

अभी हाल फ़िलहाल में काँग्रेस पार्टी की महासचिव श्रीमती प्रियंका गाँधी वाड्रा जी जो उत्तरप्रदेश की प्रभारी भी हैं वे न तो पार्षद हैं न ही विधायक औऱ न ही साँसद औऱ न ही मंत्री फ़िर भी प्रदेशदेशवासियों की मदद में करोड़ो रूपये के समान भेज रही हैं वह सभी काँग्रेस की इकाई भी हरसंभव मदद कर रही है

वहीं 18 मई को 1000 बसों का इंतजाम भी की ताकि लाखो मजदूर भाइयों को उनके गंतव्य तक पहुचाया जा सके लेकिन उसमें संघीय भाजपाई योगी सरकार ने हर तरीके से अड़ंगा लगाया कि वे 1000 बसों में कुछ एम्बुलेंस हैं तो कुछ थ्रीव्हीलर हैं कुछ टेम्पो के नम्बर तो क्या एम्बुलेंस नही होना चाहिए था वैकल्पिक चिकित्सा इमरजेंसी के लिए, टेम्पो में मजदूरों के लिए जरूरी सामान भोजन पानी इत्यादि साथ जाता, लेकिन यह सरकार को मंजूर नही था तो उसने सभी तरीकों से अंततः रोक लगा दिया बसों को जाने से.

लेकिन देश के सवसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश की 4 बार की मुख्यमंत्री कुमारी मायावती जी संघीय भाजपा योगी सरकार के समर्थन में ट्वीट करना पड़ा, उसी के आलोचना में काँग्रेसी नेत्री अलका लांबा जी भी ने कई ट्वीट की हैं जो कि रोजमर्रा की सामाजिक सरोकार है लेकिन उनके एक आईना दिखाते ट्वीट से इन स्वघोषित माया समर्थकों जलन हो गया वे ट्वीटर पर ट्रेंड करने लगे माफ़ी मंगवाने के लेकिन क्यों माफी मांगे भाई अलका जी ने माया जी को कोई अपशब्द नही कही कोई नाम लेकर टैग या हैशटैग या मेंशन ट्वीट पोस्ट या स्पीच नही दिया है, तो क्यों बेफिजूल बात करते हो?

बाथरूम कांड के बाद Facebook पर फिर छाई ‘रीना ठाकुर’ अब रिलिज हुआ नई विडियों

बात करना है जो असल मुद्दा पर करो जो यह भी है कुछ मुख्य…!
केंद्र सरकार की कुनीतियों से दर दर को भटकते, मरते हुवे गरीब भारतीय मजदूर के प्रति संघीय भाजपा सरकार असंवेदनशील क्यों है?

बर्बाद हुई इकोनॉमी है, जबकि विपक्षी पार्टी काँग्रेस लगातार सलाह लिखकर दे रही है फ़िर भी केंद्र सरकार हठधर्मिता अपनाए हुवे है क्यों?

केंद्र सरकार के द्वारा लगातार बेची जा रही सरकारी कम्पनियों वह रेलवे ,
10 एयरपोर्ट की नीलामी हो रही है वह मुद्दा होना चाहिए?

इन सब सरकारी संपत्ति को कौन बेच रहा औऱ कौन खरीद रहा?

कितने सस्ते में क्यों बेचा जा रहा इसपर सवाल डिबेट क्यों नही?

इस कोरोनो काल मे सभी के टेस्टिंग जरूरी हो, क्या सभी हॉस्पिटल कर्मचारी नर्स डॉक्टर को पीपीई किट वह सुरक्षित मास्क मिल गया है, उसपर ये विपक्षी नेता उनके समर्थक क्यों नही सवाल करते?

लोगो का रोजगार ठप्प है, उन्हें कैश मदद की जरूरत है उसपर कोई सवाल डिबेट क्यों नही?

लोग सबसे ज्यादा बेरोजगार हैं 45 साल का रिकार्ड टूटा है उसपर सवाल करो उसपर बहस करो?

रही बात मोदी सरकार के बहुप्रचारित “वन नेशन वन टैक्स” GST की तो क्यों नही केन्द्र सरकार वह रिटर्न GST एमाउंट राज्य सरकारों का पेंडिंग एमाउंट ट्रांसफर करती उसपर कोई सवाल क्यों नही करता?

लेकिन इन सब से ध्यान हटाने को लगातार बड़े शातिराना तरीक़े से कोई न कोई मुद्दा गढ़ दिया जाता है ताकि देश दिग्भ्रमित रहे औऱ सरकार अपने स्वार्थसिद्धि से व्यपारी मित्रों को फ़ायदा पहुचाती रहे?

यदि आप भी इन ग़रीबो-मजदूरों के हित में सवाल नहीं करते उनकी हरसंभव मदद नही करते (जो सक्षम हैं) तो आप संवेदनहीन हैं आपने औऱ इस जुल्मी संघीय सरकार में क्या फर्क है?

कभी हिन्दू-मुस्लिम तो कभी हिन्दुस्तान-पाकिस्तान में ही उलझे रहोगे या अपना औऱ अपने परिवार का भी भला सोचोगे?

आप सभी देशवासी संघठित होकर केंद्र सरकार पार्टी के जनप्रतिनिधियों को उनके घर से सड़क और संसद तक घेरिये अहिंसक गाँधीवादी तरीक़े से उन्हें आपके हक अधिकार वह देश की मूलभूत सुविधाओं का आभास करवाइये?

यदि कुछ नही कर सकते तो कम से कम जो इन सब उपरोक्त सभी मुद्दों को उठाकर आपके हमारे देश के लिए बात कर रहे लड़ रहे उस काँग्रेस वह उसके काँग्रेसीयों के हक़ में समर्थन किजिये

यह समय है आपको अपनी क्षेत्रीय पार्टीयों के नेताओ की असल पहचान करने का है जो घर मे छिपे हैं जबकि उनके पास सर्वसुलभ साधन हैं फिर भी आपकी आवाज आपका हक नही दे रहे हैं.

(ये लेख मुकेश गुप्ता ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा हैं )