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देश में लॉक डाउन को अब तीन मई तक बढ़ा दिया गया है. लेकिन सरकार के तरफ से गरीब लोगों के लिए कोई भी ऐसा ठोस कदम नहीं उठाया गया है जो उसके जिंदगी को स्थिर कर सके.

हलाकि सरकार ने जनधन कहते वाले महिलाओं के बैंक अकाउंट में पांच पांच सौ रूपए डाले है लेकिन इससे क्या होने वाला हैं. खबर झारखण्ड की है जहाँ पर एक आदिवासी परिवार घास की सब्जी खाने को मजबूर हैं.

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे दिख रहा है की महिला घास को चुन चुन कर सब्जी बना रही है. जमशेदपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर सोमैया झोपड़ी की अनीता मुंडारी आदिवासी महिला पिछले तीन दिनों से घर में अनाज और सब्जी नहीं होने के कारण यह महिला घर के बाहर से घास और पत्तों को चुन-चुनकर सब्जी बना रही है और पानी और भात के साथ खाना खा रही है

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महिला आदिवासी भाषा बोलती थी और हिंदी कम जानती थी. उसने बताया कि हम तीन दिनों से घास की सब्जी बना कर पानी भात खा रहे हैं. यहां खाने को कुछ नहीं बचा है. कोरोना के कारण हम घर पर ही हैं. हमारे पास वोटर कार्ड और आधार कार्ड है तो लेकिन राशनकार्ड नहीं है