भारत कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को केरल से सामने आया. जिसके बाद 12 फरवरी को कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ट्वीट के जरिये पीएम मोदी को इस वायरस से लड़ने के लिए तैयार रहने की अपील करते हैं.
राहुल के इस अपील के बाबजूद 18 फरवरी को दिल्ली के बाजार में लिट्टी चोखा खाते हुए दिखते है फिर 24 फरवरी को गुजरात के अहमदाबाद में नमस्ते ट्रम्प की रैली भी करवाई जाती हैं जिसमे अमेरिका के राष्ट्रपति शामिल होते है 15 मार्च तक सरकार यही कहती रहती है कि कोरोना कोई गंभीर समस्या नही है और न ही इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई खतरा है इसलिए डरने की जरूरत नही है। हालांकि इस बीच राहुल गाँधी कई बार सरकार को चेताते नजर आते हैं.
फिर अचानक 22 मार्च को पीएम के आह्वाहन पर एक दिन के बन्द का ऐलान होता है उसके बाद 25 मार्च से सरकार पूरे देश मे लोकडाउन करती है। लोकडाउन के 43 दिन बीतने पर भारत की कोरोना में स्तिथि कुछ इस प्रकार है:
कुल पॉजिटिव केस – 49,391
ठीक हो गए – 14,183
मौते – 1,694
इसमे पहले स्थान पर महाराष्ट्र है जहां पॉजिटिव केस 14,541 है वही दूसरा नम्बर गुजरात 5,804 और तीसरा पर दिल्ली 4,898 हैं
वही भारत में कोरोना वायरस से लगातार स्तिथि खराब होती जा रही है। भारत मे लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी संकट गहराता जा रहा है लेकिन इसके लिए नागरिकों की जिंदगी खतरे में नही डाली जा सकती।
कई अर्थशास्त्रियों ने कहा की देश की अर्थव्यवस्था ख़राब होते जा रही हैं जिसे अब सुधारना मुश्किल हैं. वही कई राज्य की सरकारों ने ठेके खोलने की अनुमति भी दी सरकार की दलील हैं की राजस्व घट रहा हैं इसलिए मजबूरी है शराब के ठेके को खोलना.
लेकिन जिस तरह से ठेके के बाहर लोग हजारों की लाइन में लगकर शराब ले रहे हैं इसे देख कर लगता हैं शराब दूकान खोलने का फैसला बिलकुल गलत हैं जहाँ एक और तो शराब से लोग अपनी जिंदगी खतरे में डाल रहे है तो वही शराब की दुकान के बाहर लगी लम्बी कतारे सोशल डिस्टनसिंग की धज्जियां उड़ा रही है क्या ये 43 दिन की मेहनत पर पानी ही फेर रहा।
क्या ये उन मजदूरों के साथ अन्याय नही जो भूखे प्यासे रहकर सोशल डिस्टनसिंग का पालन कर रहे है और अपने घर भी नही जा पा रहे। अगर शराब की दुकान खोलनी ही थी तो सरकार को रणनीति बनाने की आवश्यकता थी जिससे लोग शराब भी ले सके और सोशल डिस्टनसिंग का भी पालन हो।
शराब की दुकाने खुलने का विरोध बॉलीवुड की कुछ हस्तियां भी कर रही है सिम्मी गरेवाल जी ने ट्वीट किया “कि मैं उस इडियट का नाम जानना चाहती हूं जिसने लिकर शॉप खोलने का आदेश दिया”
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माना कि शराब रेवेन्यू का एक बड़ा साधन है इससे अच्छा खासा टैक्स जनता से आता है लेकिन इसके लिए सरकार जनता की जान को जोखिम में नही डाल सकती।
बात आती है हमारी मीडिया की तो मीडिया इस पर चुप क्यों है शायद वो शराब की शॉप वाला मुस्लिम नही है नही तो अच्छा खासा मीडिया को मसाला मिलता या फिर भीड़ में जमाती नही मिले अगर मिलते तो आज मीडिया को मसाला मिल गया होता लेकिन अफसोस।
कोरोना एक गंभीर समस्या है जिसे हमे खेल नही समझना चाहिए आपकी जरा सी चूक आपकी जान पर भारी पड़ सकती है और जिस तरह की भीड़ हमने देखी उससे तो कोरोना के मामले और बढ़ेगे। या तो सरकार को शराब की शॉप दोबारा से बन्द करनी चाहिए या फिर सरकार को एक रणनीति बनानी चाहिए जिससे सोशल डिस्टनसिंग का पालन हो।
ये आर्टिकल आरती कुमारी कनौजिया ने लिखा हैं ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं