नोटबंदी से कालाधन, GST से टैक्स, RBI से 1.76 लाख करोड़, वर्ल्ड बैंक से 28 लाख करोड़ जो आया कहाँ हैं जो जनता से चंदा मांग रहे हो?

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NARENDRA MODI (IMAGE BY GOOGAL)

मोदी सरकार की एक बड़ी खासियत हैं जिस मुद्दे पर ये बैक फुट पर आती है उसे ये सरकार देशभक्ति और धर्म से जोड़कर आसानी से अपनी तरफ लोगों की सहानुभूति ले आती हैं. लेकिन हर मौके पर देश की जनता है इस सरकार के लिए खड़े रहे. जनता को ही अपनी देशभक्ति बार बार साबित करना पड़े ये कैसा तर्क हैं?

नोटबंदी के समय जनता को लाइन में लगा दिए. कई लोगों की जान चली गयी. आज लॉक डाउन किये कई लोगों की भूख से जान चली गयी. आखिर कब तक? हर मौके पर सरकार कहती हैं देश बढ़ रहा हैं. अच्छे दिन आ गए. विकास हो रहा हैं. आप हर बार लोगों को 60 साल बनाम 6 साल करके दिखाते हैं. लेकिन इससे जनता को क्या मिल रहा हैं?

एक भारतीय नागरिक के तौर पर मुझे उस समय काफी दुःख हुआ जब Narendra Modi कोरोना से लड़ने के लिए लोगों से चंदा देने की अपील किया. आज एक भारतीय नागरिक के तौर पर अपने सरकार से सवाल हैं हर छोटी बड़ी घटना पर आपकी सरकार लोगों से चंदा ही मांगेगी तो सरकार के जो पैसा आता हैं वह कहाँ गया?

शुरुआत हम नोटबंदी (Demonetisation) से करते है. आपने 8 नवम्बर 2016 को पुरे देश में नोटबंदी किया. आपने कहा इससे काफी कालाधन ने आएगा आपकी बात को देश ने सुना. लाइन में सब खड़े हो गए देश के लिए. सरकार बार बार कहती रही नोटबंदी से काफी कालाधन आया आज आप बताये जब बहुत कालाधन निकला तो पैसा गया कहाँ? आज फिर कोरोना के लिए चंदा क्यों? हालाकिं हमे पता हैं नोटबंदी एक गलत फैसला था उससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ.

10 सितंबर 2018 को “आजतक“अपने वेबसाइट पर लिखती हैं नोटबंदी एक गलत फैसला था जो सरकार को अनुमान था कालाधन आने का आया नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और चौपट कर दी गयी. फिर भी आप कहते हैं कालाधन आया तो बताये कहाँ हैं पैसा?

फिर आपने 1 July 2017 को पुरे देश में GST (Goods and Services Tax) लाया। जीएसटी जब लाया तो आपकी सरकार और गोदी मीडिया बोली ये देश की आर्थिक आज़ादी हैं. इसको भी आपने काफी जोर शोर से अपनी जीत बताई ये अलग बात हैं की देश में नोटबंदी के बाद जीएसटी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (Economy) पर चोट था.

इन दोनों कारनामों के बाद आजतक देश की अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी. देश की जीडीपी लगातार गिरते गयी. देश को काफी नुक्सान भी हुआ फिर भी देश की जनता आपके ऊपर भरोसा किया. अब आप बताये जीएसटी कलेक्शन का पैसा कहाँ गया जो आज आपकी सरकार कोरोना से लड़ने के नाम पर लोगों से चंदा मांग रही हैं?

जब आज बात देश और सरकार की हुई हैं तो RBI से लिया गया पैसे का भी जिक्र होना चाहिए। 27 अगस्त 2019 को बीबीसी अपने वेबसाइट पर एक रिपोर्ट लिखती हैं जिसमे कहा गया की RBI के 2018 और 2019 की कमाई 1.76 लाख करोड़ रूपए भारत सरकार ने लिया हैं.

अब सवाल यही हैं की सबकुछ ठीक चल रहा है देश खूब विकास कर रहा हैं फिर RBI से पैसा लिया क्यों? अगर लिया तो वह पैसा कहाँ गया? अब उस पैसे का इस्तेमाल क्यों नहीं करते? चंदा क्यों मांग रहे हैं जब सबकुछ ठीक हैं.

वही एक और रिपोर्ट आजतक ने अपने वेबसाइट पर 11 जनवरी 2020 को लिखती हैं. आजतक अपने रिपोर्ट में लिखा की सरकार का खजाना खाली हो गया इसलिए फिर रिजर्व बैंक से मोदी सरकार ने 45 हजार करोड़ की मदद मांग सकती हैं. फिर जनता का सवाल वही हैं जब सबकुछ ठीक तो पैसा ले क्यों रहे हों और सारा पैसा जा कहाँ रहा हैं?

वही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की वेबसाइट के अनुसार बताया गया हैं की 04.06.2019 तक प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में पहले से 3800.44 करोड़ रूपए पड़ा हुआ हैं. जिसे अब तक सरकार के तरफ से खर्च ही नहीं किया गया हैं.

फिर भी सरकार ने इस पैसे को छोड़ एक और वेबसाइट तैयार करवा लिया जिसका नाम “पीएम केयर्स फंड” रखा गया. बताया गया इसका बैंक अकाउंट भारतीय स्टेट बैंक की नई दिल्ली स्थित मुख्य शाखा में है जिसमें लोग सीधे पैसे जमा करा सकते हैं. पीएम केयर्स फंड में अब तक कितना पैसा जमा किया गया हैं कितना खर्च किया गया. किस किस ने दिया अब तक इसकी जानकारी वेबसाइट पर पब्लिक नहीं किया गया. फिर भी जिस रफ़्तार में लोगों ने पैसा जमा किया एक अनुमान के मुताविक इतना कह सकते हैं कम से कम लाखो करोड़ रूपए जमा हुआ होगा.अब जनता का वही सवाल यहाँ भी रहेगा हमारा पैसा गया कहाँ.? हम क्यों नहीं देख सकते कितना जमा हुआ?

वही इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार कोरोना से लड़ने के लिए वर्ल्ड बैंक ने भी भारत सरकार को एक अरब डॉलर की मदद की हैं. यानी आज की तारीख के मुताविक 75,030,566,251.21 रूपए. सवाल वही ये पैसा कहाँ गया?

वही 18 अप्रैल 2020 को ABP न्यूज़ के मुताविक कोरोना से लड़ने के लिए अमेरिका ने भी भारत सरकार को 5.9 मिलियन डॉलर की मदद की हैं.

वही ABP न्यूज़ के मुताविक 30 अप्रैल 2020 को भी अमेरिकी सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए भारत सरकार को तीन मिलियन US डॉलर देने का एलान किया. इसपर भी सवाल यही होगा की इतना पैसा सरकार के पास आ रहा है तो पैसा गया कहाँ जो जनता से ही चंदा मांगना पड़ रहा है?

वही ” हिन्दुस्तान अखबार” के मुताविक कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भी 113 अरब रुपये का कर्ज भारत सरकार को दिया हैं. यहाँ भी आम लोगों का सवाल यही रहेगा इतना पैसा मिलने के बाद भी कर्ज की जरुरत क्यों?

अब आखिरी सवाल ये हैं की जब देश बढ़ रहा हैं विकास कर रहा हैं तो 2014 के मुकाबले 2019 में भारत पर 49 फीसदी कर्ज कैसे बढ़ गया हैं.
money.bhaskar.com अपने वेबसाइट पर 19 जनवरी 2019 को लिखती हैं ” मोदी सरकार ने बढ़ाई ऐसी मुसीबत, आने वाली कई सरकारें चुकाएंगी कीमत”

रिपोर्ट में कहा गया की मोदी सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान सरकार की कुल देनदारियां 49 फीसदी बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। रिपोर्ट पीएम मोदी की पिछली सरकार की हैं

रिपोर्ट में कहा गया की जब कांग्रेस की सरकार सत्ता से बेदखल हुआ यानी जून, 2014 तक भारत सरकार पर कुल 54.90 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था। जिसे पीएम मोदी अपने एक साढ़े चार साल के ही कार्यकाल में इस कर्ज को बढाकर 82 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा दी. यानी मोदी सरकार के दौरान भारत पर मौजूद कुल कर्ज लगभग 28 लाख करोड़ रुपए बढ़ गया है।

वही इस पर जनसत्ता अपने रिपोर्ट में लिखती हैं की ” पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत सरकार का कर्ज 49% बढ़ा, अभी 82 लाख करोड़ रुपये बकाया” जनसत्ता ने अपने रिपोर्ट में कहा की ” वित्त मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो जून, 2014 में सरकार पर कुल कर्ज 54,90,763 करोड़ रुपये था, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 82,03,253 करोड़ रुपये हो गया।

भारत के नागरिक के तौर पर सरकार से सवाल पूछना हमारा हक हैं और मेरा फिर से आखिरी सवाल यही है सरकार से उनके समर्थकों से. जब देश बढ़ रहा है खूब विकास कर रहा हैं. देश में राम राज्य आ गया हैं तो देश पर कर्ज बढ़ा कैसे? नोटबंदी, जीएसटी, और तमाम जगह से जो पैसा आया वह गया कहाँ जो कोरोना से लड़ने के लिए जनता से चंदा मांग रहे हो? कई मीडिया ख़बरों के अनुसार सरकारी कर्मचारियों की सेलेरी काट रहे हो?

दीपक राजसुमन