अर्नब गोस्वामी के लिए आंसू बहाने वाले कश्मीरी पत्रकारों पर चुप क्यों हैं, जिन्हें जेल में डाल दिया गया है?

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अर्णब के लिए गोदी मीडिया आसूं बहा रहा है। 12 घँटे की पूछताछ में अर्णब और गोदी मीडिया को नानी की याद आ गई है। लेकिन क्या वे कश्मीर के उन पत्रकारों का दर्द समझ पाएंगे जिनके ऊपर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है , जिन्हें इस कानून के तहत आतंकवादी घोषित किया जा सकता है, सात साल तक जेल में रखा जा सकता है और जिसकी जमानत अर्जी भी दाखिल नहीं हो सकती है ।

जबकि वे वाशिंगटन पोस्ट, अल जजीरा और द हिन्दू जैसे विश्वसनीय मीडिया माध्यमों के लिए काम कर रहे हैं। मैं बात कर रहा हूं उन तीन पत्रकारों पर जिनके ऊपर यूएपीए लगाया गया है। कश्मीर की 26 साल की फोटोग्राफर जर्नलिस्ट मशरत जाहरा एक बड़ा नाम हैं।उनकी कई रिपोर्ट वाशिंगटन पोस्ट ,अल जजीरा में प्रकाशित हो चुकी हैं। वे गेटी इमेजेज के लिए भी काम करती हैं।

उनकी सभी रिपोर्ट कश्मीर के महिलाओं और बच्चों पर केंद्रित रहती है। उनके अवसाद,ज़ेहनी ज़ख्म को वह दुनिया के सामने लाती है। हिंसाग्रस्त क्षेत्र में जान हथेली पर रखकर जाती है। ट्विटर पर उन्होंने कुछ ही दिनों पहले अपनी ही खींची एक ऐसी महिला की तस्वीर डाली थी जिसके पति को सेना के जवानों ने आज से बीस साल पहले आतंकवादी समझ कर 18 गोलियां मार दी थीं ।

महिला को आज भी घबराहट के दौरे पड़ते हैं। उनकी एक और रिपोर्ट पहले आईं थीं जिसमें पुलवामा केमिस्ट की दुकान में 10 साल तक कि बच्चियां अवसाद की मेडिसिन लेने जाती है। जिनके पिता क्रॉसफायर या पैलेट गन के अटैक में मारे गए हैं। केमिस्ट के यह पूछने पर कि तुम यह दवाई कैसे खाती हो बच्ची कहती है,अलार्म लगा रखी है । वह केमिस्ट और उनकी माँ भी एंटीडिप्रेसेंट की दवाइयां खाते हैं। उनके दो भाई महीनों से लापता है।

द हिंदू’ अखबार के श्रीनगर संवाददाता पीरजादा आशिक के खिलाफ़ भी यूएपीए लगाया गया है। पीरजादा के लेकर पुलिस का दावा है कि उसे 19 अप्रैल को सूचना मिली कि शोपियां एनकाउंटर और उसके बाद के घटनाक्रमों पर पीरजादा आशिक नाम के पत्रकार ने द हिंदू अखबार में ‘फेक न्यूज’ प्रकाशित किया जा रहा था।

एफआईआर में पुलिस ने दावा किया कि न्यूज में दी गई जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत है । इस खबर से लोगों के मन में डर बैठ सकता है। यह भी कहा गया कि खबर में पत्रकार ने जिला के अधिकारियों से इसकी पुष्टि नहीं कराई। इस पर पीरजादा आशिक का कहना है उन्होंने शोपियां के परिवार के इंटरव्यू के आधार पर खबर बनाई है ।

उन्होंने यह भी दावा किया कि शोपियां के डीसी के आधिकारिक बयान के लिए एसएमएस, व्हाट्सऐप और ट्विटर से संपर्क किया । उन्होंने हैरानी जताई कि उस खबर को फेक न्यूज करार दिया जा रहा है। यही नहीं आशिक कहते हैं इस एफआईआर में ना तो इनका और ना ही अखबार के नाम का कोई जिक्र है। पीरजादा कहते हैं आज सरकार चाहती है कश्मीर से वही छपे जो वो चाहती है। अगर आप ग्राउंड रिपोर्ट या परिवार से बात करके कोई स्टोरी करेंगे तो फिर आप पर मामला दर्ज कर लिया जाएगा।

जाने-माने पत्रकार, लेखक और टीवी बहसों में दिखने वाले गौहर गिलानी के ख़िलाफ़ भी यूएपीए क़ानून के तहत कार्रवाई की गई । पुलिस हैंडआउट में कहा गया कि उनके ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट लिखने पर मामला दर्ज किया गया जो भड़काऊ और शांति-व्यवस्था के लिए ख़तरा थे, आरोप यह भी लगाया गया कि है कि उनकी सोशल मीडिया पोस्टें राष्ट्रीय एकता, अखंडता और भारत की सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रह से प्रेरित हैं।

पुलिस का कहना है गिलानी की गैर-क़ानूनी गतिविधियों और कश्मीर में आतंकवाद का महिमामंडन करने की वजह से प्रदेश की सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है। इस पर गिलानी कहते हैं कि वे कहने के लिए कुछ भी कह सकते हैं। यहां जो भी प्रशासन और सरकार से सवाल पूछता है तो ऐसे आरोप लगाए जाते हैं। एक पत्रकार लिखेगा नहीं तो क्या करेगा? ये हमला मुझ पर या मसरत पर नहीं है बल्कि पूरी पत्रकारिता पर हमला है। अगस्त के बाद से जिस तरह से तीन पूर्व मुख्यमंत्री के साथ साथ हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया हो उनसे आप क्या उम्मीद कर सकते हैं?

तो ये है कश्मीर! क्या गोदी मीडिया के किसी पत्रकार ने इन तीन पत्रकारों पर यूएपीए लगाने पर एक लाइन लिखा? वे नहीं लिखेंगे क्योंकि ये कश्मीरी पत्रकार हैं, और कश्मीर पर इनके मुँह में टुकड़े फेंकने वालों ने एक अक्षर भी लिखने से मना किया है। कश्मीर हमारा है, पर कश्मीरी और कश्मीरी पत्रकार हमारे नहीं हैं।

विक्रम सिंह चौहान के फेसबुक वॉल से