इन दिनों बात बात में कुछ नफरत के सौदागर ने कहना शुरू कर दिया हैं की भारत का हिन्दू खतरे में हैं. इसलिए भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाओ, कुछ लोग भारत से मुस्लिम को भी इससे अपना खतरा बताते हैं
अब वैसे लोगों को झारखंड से DSP किशोर कुमार ने कड़ा जबाब दिया हैं.
किशोर कुमार ने ट्वीट करके लिखा ” मुसलमानों के 600 साल और ईसाई अंग्रेजों के 200 साल शाषण के बाद भी हिन्दू धर्म सुरक्षित रहा। इसीलिए निडर होकर बोलो ” हिन्दू किसी सत्ता या संगठन की जागीर नही ” यह आपसी प्रेम,भाईचारा और सहिष्णुता की जागीर है। #संविधानहैतोधर्मसुरक्षित_है
आपको बता दे किशोर कुमार का अपना एक ब्लॉग thenagrik.com हैं उसपर वह अपनी राय भी लिखते किशोर कुमार एक घटना का जिक्र करते हुए अपने ब्लॉग में लिखते हैं ” मैं DSP किशोर कुमार रजक झारखण्ड के बोकारो जिले के एक अत्यंत पिछड़े गाँव से हूँ। मेरा गाँव बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी वाला है। एक बड़ी आबादी वाले मेरे गाँव में हम मात्र आठ हिन्दू परिवार रहते हैं।
मेरा पूरा बचपन इसी गाँव मे बिता है। मेरे गाँव के हर मुस्लिम सदस्य चाचा-चाची,भैया-भाभी,मामा-मामी किसी-न-किसी रिश्ते से जुड़ा हुआ है। ईद हो या दीवाली, रमज़ान हो या नवरात्र या फिर होली, हमारा जीवन बहुत ही शान्ति और सौहार्द से बिता है। खेती हो या मजदूरी,मछली पकड़ना हो या पतंग उड़ाना, गुल्ली डंटा खेलना हो या क्रिकेट, हम सब बड़े ही मस्ती से एक साथ समय बिताया है ।
मुझे याद है पिछले साल मुझे आजादी का जश्न मनाने के लिए गाँववालो ने बुलाया था । मेरे आते-आते शाम हो गया। मेरे इंतज़ार में गाँव के बच्चे, बुजुर्ग, महिलायें सब घर के पास वाले मैदान में इकठ्ठा हो गए। मेला की तरह दृश्य था। मेरे पहुँचते ही जन-गण-मन अधिनायक और बंदे मातरम के धुन से स्वागत हुआ। कुछ ही पलों में हज़ारो की भीड़ ने पूरी तरह से देशभक्ति के गीतों से माहौल को खुशनुमा बना दिया। मेरा मन-हृदय गर्व से प्रसन्न हो गया।
मैं अपने गाँव का शुक्रगुजार हूँ जिसने मुझे आगे बढ़ने में मदद किया। मैं कभी भी किसी प्रकार की सामाजिक-धार्मिक भेदभाव से मुक्त रहा। सामाजिक मेल-मिलाप की पहली पाठशाला मेरा गाँव ही था। मैं अपने गाँव का ऋण कभी नही चुका सकता क्योंकि मुझे DSP बनने तक के सफर को आसान बनाया। इसीलिए जबतक जान है तबतक सामाजिक और धार्मिक सौहार्द को जहाँ भी रहूँगा बना के रखूँगा।
आज मन बहुत व्यथित है क्योंकि देश मे लगातार राजनीतिक षडयंत्र के द्वारा साम्प्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है। राजनीति करके कुछ लोग एक धर्म विशेष को सभी समस्याओं की जड़ बताने में लग गए हैं। फर्जी IT-सेल के माध्यम से आतंकवाद को धर्म से जोड़ने का मुद्दा हो ,या कोरोना वायरस को फैलाने में एक धर्म विशेष को दोषी ठहराने का मुद्दा हो, या फिर जिहाद का मुद्दा हो, लिस्ट लम्बी हो चुकी है। अब हर मुद्दे को धार्मिक रंग देने की कोशिश हो रही है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि एक धर्म विशेष का सामाजिक बहिष्कार तक का माहौल बनाया जा रहा है। ऐसे सैकड़ो वेवजह मुद्दें है जिससे समाज में विभाजन पैदा किया जा रहा है।
यदि वाकई में समाज में कोई कौम या धर्म गद्दारी कर रहा है ? तो देश मे संविधान है, कानून है, न्यायालय है, पुलिस है, सेना है। हम ऐसे दोषियों को लोकतांत्रिक तरीकों से सजा क्यों नही दे सकते ?
हक़ीक़त यह है कि राजनीतिक लाभ पाने का सबसे आसान तानाशाही तरीका सम्प्रदायिकता हो सकता है। साम्प्रदयिक ध्रुवीकरण से बिना विकास किये चुनाव जीता जा सकता है । लेकिन इस बात को हमेशा याद रखा जाना चाहिए-
“षड्यंत्र की साम्प्रदायिकता भारतीय समाज को कई टुकड़ो में तोड़ देगी। सत्ता तो मिल जाएगी साहब पर विभाजित समाज की अराजकता आपके वजूद का भी एक दिन अंत कर देगी।”
सबसे डराने वाली बात तो यह है कि चुनींदा मीडिया भी समाज मे नफरत फैलाने और समाज को तोड़ने में रात-दिन लगे हुए है। मीडिया का जहर सबसे खतरनाक है क्योंकि आम लोग सही-गलत में फर्क नही कर पा रहे हैं। मीडिया समाज का आईना होता है । लेकिन यही समाज के साथ गद्दारी करे तो समाज को टूटने में देर नही लगेगी। सामाजिक -साम्प्रदायिक आधार पर समाज यदि एकबार टूट गया तो परिणाम बहुत ही भीषण होगा। इससे देश मे हिंसा,अशान्ति और गृह युद्ध तक की लम्बी शृंखला शुरू हो सकती है। सबसे बड़ी बात है कि नफ़रत की ऐसी किसी भी विकट परिस्थितियों में केवल आम गरीब आदमी ही मारा जाएगा।
आम आदमी को इस बात को जल्द समझ लेना है कि मन्त्री, सांसद, विधायक, जज,आईएएस, आईपीएस, बड़े अधिकारी या व्यापारी, या फिर अमीर सम्पन्न आदमी , इनके परिवार के बच्चे किसी भी हिंसा या नफरत की लड़ाई का हिस्सा नही बनने वाला है। इनके बच्चे अच्छे स्कूलों, कॉलेजों, अच्छे यूनिवर्सिटीज और विदेशों में पढ़-लिख लेंगे। फिर इन्ही लोगो के द्वारा अधिकांश प्राइवेट नॉकरियों और सरकारी नॉकरियों पर कब्जा जमा लेंगे। इनकी जिंदगी पहले भी शान्ति और खुशहाल थी और आगे भी रहेगा। इसीलिए आप धार्मिक,साम्प्रदायिक झगड़ो में खुद को बचाकर अपनी जिंदगी को सुरक्षित करें और एक अच्छी जिंदगी जीने के बेहतर विकल्पों कि तलाश करें।
अंत में आम लोगो से विनम्र अपील है कि किसी भी तरह की साम्प्रदायिक राजनीति,फेक न्यूज़, हेट स्पीच, गाली-गलौज, नफरत,धर्म और जाति के विवादित युद्ध मे न फँसे। इन दलदलों में फँसने से आपकी रोजी-रोटी को संकट आएगी। आप हर हाल में अच्छी शिक्षा, रोजगार, बिजली,पानी,भोजन,घर,अस्पताल के लिए अपनी मांगो पर डटे रहें। क्योंकि आपकी समझदारी ही इस समाज और देश को आगे ले जाने में मदद करेगी।अब आप ही महान भारत की आख़री उम्मीद है।