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Deepak rajsuman

यहाँ कोई मजाक चल रहा है क्या मोदी जी? कभी थाली कभी ताली, कभी लाइट, कभी मोमबत्ती, कभी टॉर्च, आखिर आप ये सब करके क्या हासिल करना चाहते है? ये कोरोना एक वायरस है कोई दिवाली नहीं, जहाँ ताली बजाया जाए, लाइट जलायी जाए. आखिर आप अपनी नाकामी छुपाने के लिए इतनी भयानक वायरस से लड़ना छोड़ आपको मजाक सूझ रहा है?

मुझे लगता है इसमें आपकी भी कोई गलती नहीं है. गलती तो उनलोगों की है जो इस लॉक डाउन के वजह से हजारो हजारो लोग भूखे प्यासे पैदल आ रहे है. कब तक भूखे रहेंगे उन्हें ये भी पता नहीं फिर भी वे लोग आपसे सवाल नहीं कर रहे क्योंकि आपने थाली बजाने ताली बजाने में व्यस्त कर दिया.

जब ताली और थाली उनका खत्म होता है तो आप उनको 500 रूपए का लॉलीपॉप थमा देते है भले उनकी लॉक डाउन के चक्कर में प्रतिदिन की 300 रूपए की दिहाड़ी चली गयी. फिर भी वे लोग आपसे सवाल नहीं कर रहे है. क्योंकि उनको आपने टेम्परोरी खुशी दिया. भले उनका नुक्सान बहुत हुआ.

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लेकिन हम उन लोगों में नहीं है जो आपकी गलती के कारन तकलीफ सहें भी और सवाल भी ना करे. हम सवाल भी करेंगे और जबाब भी लेंगे.

कोरोना भारत में इतना फ़ैल गया ये आपकी सरकार की जान बूझकर की गयी घमंड और गलती का नतीजा है. कोरोना का पहला केस 30 दिसम्बर को चीन में आया था. उसके बाद भारत में पहला मामला 30 जनवरी को मिला था।

इसी दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली विश्व स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित किया था। और इसके अगले दिन राहुल गाँधी ने पहली बार कोरोना के ऊपर सरकार को आगाह किया. इसके बाद राहुल गाँधी ने 13 मार्च तक एक-एक कर कम से कम पाँच -सात ट्वीट किए। लेकिन सरकार कोरोना मुद्दें को इग्नोर कर दिया.

देश की मुख्य विपक्षी दल का नेता कह रहा है लेकिन आप उनके बातों को इग्नोर कर रहे है ये कहाँ तक सही है, हम तो ये पुछेंगे ना? अगर उनकी बातों को सुनते तो आज ये नौबत ना आती. सरकार की सबसे बड़ी गलती थी 18 जनवरी से 23 मार्च तक 15 लाख लोग विदेश से आये. आपने उसको उसी समय क्यों नहीं जांच की, क्यों नहीं उसको उसी समय रोका? क्योंकि वे लोग अमीर थे?

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देश में कुल 26 इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जिसमे से मात्र दिल्ली मुंबई बंगलौर कलकत्ता हैदराबाद अहमदाबाद को चीन चेन्नई जैसे एयरपोर्ट पर ही ज्यादा ट्रेफिक रहता है इनके टर्मिनल भी अलग बने हुए है इन एयरपोर्ट पर तीन दिन तक इन्हे रोकते, टेस्ट करते पूरी सुविधाए भी देते लेकिन इन्हे बाहर निकलने नहीं देते तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता

जब कुम्भ का मेला होता है तो टेन्टेज में सर्वसुविधायुक्त अस्पताल मेला परिसर में बनाए जाते है कि नहीं? वैसे ही अस्पताल बनवा कर आप इन लोगो को वही रोक सकते थे. एयरपोर्ट अथॉरिटी तो केंद्र के अंतर्गत ही आती है न? क्या यह जिम्मेदारी केंद्र की मोदी सरकार की नहीं थी.

यानी कुल मिलाकर ये कहा जाए की गलती आप करिये आपके अमीर दोस्त करे और भुगते गरीब जनता. क्यों भाई क्यों? हम क्यों भुगते? फिर आप उस महामारी से लड़ने के बजाये वायरस को दिवाली समझ लेते है नौटंकी करते है. मजाक चल रहा है क्या यहाँ? या कोई चुनाव चल रहा है यहाँ?

जिस कोरोना से लड़ने के लिए आपकी सरकार को जनवरी महीने में तैयार होना चाहिए. उन 15 लाख लोगों को रोकना चाहिए तो उस समय आप दिल्ली चुनाव में लिट्टी चोखा खाने में मस्त थे.

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कब तक ये नौटंकी देश बर्दास्त करेगा? जब मर्जी होता है नोटबंदी करके देश को लाइन में खड़े कर देते है तो कभी लॉक डाउन में. जबकि किसी में कोई बड़ा ठोस परिणाम नहीं निकलता. लेकिन जनता को इसका नतीजा भुगतना पड़ता है सिर्फ और सिर्फ अपने नौटंकी से? आखिर कब तक मजाक करियेगा देश के साथ/ कभी तो गंभीर होईये। ये कोरोना है कोई झाड़ फूंक नहीं. ये मेडिकल डॉक्टर से ही खत्म होगा. आपके ताली से नहीं.

डॉक्टर सिस्टम ठीक करिये. हॉस्पिटल बढ़ाये. ताली ओर थाली से कोरोना या बिमारी का इलाज नहीं होता. अगर ऐसे ही चीज़ों से ठीक होनी होती तो इटली जैसे देश पहले कर चुके होते. जबकि दुनिया भर में उसका मेडिकल सिस्टम ठीक है. फिर भी वह हिम्मत हार गया. लेकिन आप नौटंकी करने में लगे है.

अगर मोमबत्ती, टॉर्च, लाइट से ही बिमारी दूर होती तो दुनिया भर में इतनी महंगी महंगी मेडिकल कॉलेज नहीं खुलते. इसलिए आपसे आग्रह है अपना भी टाइम ना ख़राब करे, ना देश का ख़राब करे. वक्त के साथ इसका इलाज ढूढें. वरना अभी अंदाजा नहीं है आपको शायद तो इटली, अमेरिका की लाशें गिन लीजिये.

इसलिए नौटंकी बंद करिये समय रहते मेडिकल सिस्टम ठीक करिये वरना देश में सिर्फ लाशें ही दिखेगी. अगर अब भी आपको समझ नहीं आता तो कम से कम पूर्व की सरकारों से सिख लीजिये जिन्होंने पोलियो, डेंगू, मलेरिया जैसे बीमारी पर काबू पाया है.

Deepak rajsuman

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