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सरकार का मानना है कि लंबे समय तक टैक्सपेयर्स की रकम को बैंकों को बेलआउट पैकेज देने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

इंदिरा गांधी सरकार ने 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, लेकिन अब मोदी सरकार एक बार फिर से 51 साल बाद पुराने दौर में लौटने की तैयारी में है।

इकनॉमिक टाइम्स के एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने इस तरह का प्रस्ताव पेश किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र्र और इंडियन ओवरसीज बैंक के निजीकरण से इस प्रक्रिया की शुरुआत की जा सकती है।

थिंक टैंक नीति आयोग ने सरकार को सलाह दी है कि बैंकिंग सेक्टर में लंबे समय के लिए निजी निवेश को मंजूरी दी जानी चाहिए। यही नहीं आयोग ने देश के बड़े औद्योगिक घरानों को भी बैंकिंग सेक्टर में एंट्री करने की अनुमति देने का सुझाव दिया है।

आपको बता दे फिलहाल देश में सिर्फ 12 सरकारी बैंक ही रह गए हैं, जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, केनरा बैंक, यूको बैंक, इंडियन बैंक आदि शामिल हैं।