सरकार की चमचई करने वाले अगर सरकार से समय समय पर भक्ति छोड़ सवाल करते हैं। काम का हिसाब मांगते तो आज चीन हमारे इलाकों पर कब्जा नहीं करता। ये बात हम नहीं खुद देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के कुछ हिस्सों (लद्दाख) पर चीन के सैनिक आ गए जिसे अब शायद हटाना मुश्किल होगा। क्योंकि काफी चीनी सैनिक हैं।
उधर नेपाल जैसे देशों की इतनी हिम्मत बढ गई की भारत के हिस्सों को भी अपने नक्शे में दिखाया है और उसे अपने सदन में बहुमत से पास भी करवा लिया। हम भारत के लोग इतने चीन के समान का वहिष्कार करने में जुटे हैं। जबकि हम ये भूल गए को हम चीन नहीं जाते समान लाने भारत में ही चीन का सामान लेते हैं। अगर सरकार चाहे तो तुरंत बैन लगा सकती है चीनी सामान पर।
लेकिन हमलोग इतने मुर्ख हैं कि सरकार से सवाल करना कर छोड़ चीनी सामान बहिष्कार करने में लगे हैं। खैर बात ये है कि भारत की कमजोर सरकार का फायदा चीन ने उठा लिया है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत देश के अस्पतालों में फूल बरसाते रहे और चीन ने लद्दाख में बड़े भारतीय हिस्से पर कब्ज़ा जमा लिया है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सेना के कुछ जवानों के कोरोना संक्रमित होने के बाद भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब मार्च के शुरू में होने वाले अपने अभ्यास को कुछ समय के लिए टाल दिया था. इसी का फायदा उठाते हुए चीनी सेना ने रणनीतिक दृष्टि से अहम भारतीय सेना के पेट्रोलिंग वाले इलाके में आगे बढ़ते हुए वहां अपनी पोजीशन मजबूत कर ली.
चीन ने चालाकी दिखाते हुए गलवान घाटी और पैंगोंग शो झील के करीब फिंगर एरिया में तुरंत सैनिकों की तैनाती कर दी.जानकारी के अनुसार गलवान में चीन के करीब 3,400 सैनिक तैनात हैं जबकि पैंगोंग लेक के करीब 3,600 चीनी सैनिक हैं. सैटलाइट तस्वीरों के हवाले से सरकारी सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिक भारतीय सेना के पेट्रोलिंग वाले इलाकों पोजीशन बना ली है और कुछ रणनीतिक दृष्टि से अहम क्षेत्र में भी आ गए हैं.
मोदी और मीडिया इस मुद्दे पर देश का ध्यान बंटाने के लिए ट्रम्प के जी 7 समिट में मोदी के बुलाने पर कसीदे गढ़ रहा है. बताया जा रहा है कि इससे चीन बौखला गया है, जबकि सच यह है कि भारत के पास चीन से निबटने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं दिख रहा है. सिर्फ वहिष्कार वहिष्कार चिल्ला कर लोगो को मुर्ख बनाने के शिवा।