देश में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी को आया. ये बात खुद भारत की सरकार ने पुष्टि किया था. वायरस कितना खतरनाक है ये सरकार को उस समय भी अंदाजा था. इसके बाद भी सरकार इस वायरस को लेकर गंभीर नहीं हुआ.
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ट्विटर के जरिये सरकार को इस वायरस से लड़ने के लिए ठोस कदम उठाने की कई बार फरवरी में आग्रह भी किया. सरकार उसे भी नजर अंदाज कर दिया. जिसके बाद 24 फरवरी को गुजरात के अहमदाबाद में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प की रैली कराई जाती है. जिसमे एक लाख लोगों से अधिक शामिल होते है.
इसके बाद भारत में कोरोना वायरस से लोगों की मौत होनी 9 मार्च से शुरू होती है. उसके वावजूद मध्य प्रदेश के सभी बीजेपी विधायक 9 मार्च को बेंगलूरु जाते है, 17 मार्च को MP विधानसभा स्थगित होती है. 20 मार्च को MP मे कांग्रेस सरकार गिरती है. 22 मार्च को कोरोना वायरस को लेकर सरकार जगती है और एक दिन के लिए जनता कर्फ्यू लगाया जाता है.
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वायरस कितना तेजी से फैलता है ये सरकार को पता है उसके बाद भी 23 मार्च को मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनायीं जाती है. इसके बाद 24 मार्च को देश भर में लॉक डाउन किया जाता है फिर भी 25 मार्च को यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ आयोध्या जाकर राम मंदिर के लिए कार्यक्रम करते है.
वही सी वायरस को फैलाने में सबसे बड़ी भूमिका उनलोगों की है जो विदेश से आये है. एक रिपोर्ट के अनुसार 18 जनवरी से 25 मार्च तक विदेश से आये भारतीय की संख्या 15 लाख थी. अब सवाल उठ रहा है सरकार ने उन 15 लाख लोगों को एयरपोर्ट पर ही क्यों नहीं रोका.
अभी देश में लॉक डाउन जारी है सरकार का दावा है की अगर लॉकडाउन नहीं होता, तो देश में आज साढ़े आठ लाख से ज्यादा मरीज होते।
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अब इस को लेकर बीजेपी नेता देश भर में अपनी सरकार की वाहवाही करने में लग गयी है. जबकि ये सच्चाई नहीं है. ये हम मान सकते है की लॉक डाउन से संक्रमण में कमी जरूर आयी होगी, लेकिन संक्रमण में कितनी कमी आयी, इसका अंदाजा कैसे लगा लिया गया? जब कोरोना की टेस्टिंग ही पर्याप्त मात्रा में नहीं हुई है तो मरीज कितने हैं, इस बारे में दावा कैसे किया जा सकता है?
भारत में आबादी करीब 137 करोड़ है जबकि 11 अप्रैल तक 1,79,374 लोगों का सैम्पल्स लिए गये जिनमें 7703 लोग पॉजिटिव मिले। मतलब ये कि 4.29 फीसदी केस पॉजिटिव मिले हैं। 11 अप्रैल के दिन 17143 टेस्टिंग हुई। इनमें से 600 मामले पॉजिटिव पाए गये। यह 3.5 प्रतिशत है।
अगर लॉक डाउन के पहले तक देखे तो पॉजिटिव लोगों की संख्या कम थी वही मरने वाले लोगों का आंकड़ा भी काफी कम था लॉक डाउन के बाद भी पोजिटिब लोगों की संख्या बढ़ रही है वही अब तक कोरोना मरीजों की की संख्या भारत में 290 तक पहुंच गयी है. आप अंदाजा लगाए भारत की आबादी कितनी है क्या सभी के इस लॉक डाउन में जांच किये गए.