BBC के वेबसाइट पर 30 जनवरी को एक रिपोर्ट प्रकशित की गयी थी, जिसमे कहा गया था की चीन के वुहान विश्वविद्यालय से आए एक छात्र में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए हैं. ये बात मेडिकल जांच में पता चला था. जिसकी पुष्टि खुद भारत सरकार ने किया.
उस रिपोर्ट में कहा गया था की भारत में हर दिन कोरोना वायरस को लेकर समीक्षा बैठक चल रही थी. सरकार की तरफ से संदिग्ध लोगों की पहचान चल रही थी. बीबीसी के मुताबिक 28 जनवरी तक भारत में लगभग 450 लोगों को निगरानी में रखने की बात आ रही थी. उस वक्त सरकार ने भी दावा किया था कि सबसे ज्यादा लोग केरल में हैं.
उस रिपोर्ट में कहा गया था की उस समय केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोरोना वायरस से प्रभावित चीन के वुहान प्रांत में अटके भारतीयों को बाहर निकालने की व्यवस्था करने का आग्रह किया है जिनमें केरल के भी कई लोग हैं.
उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में बताया है कि सरकार को चीन में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के संबंधियों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ वहाँ स्थिति गंभीर है.
जिसके बाद भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी किया. जिसमे कहा गया की चीन से लौटने पर 14 दिनों तक- घर में अलग थलग रहें अलग कमरे में रहें, केवल परिवार से सम्पर्क में रहे. बाहर आने जाने वालों से सम्पर्क में ना आये.
मामला ये धीरे दिए बढ़ता गया और फरवरी में कई दो केस सामने आया था. जिसके बाद पुरे महीने एक भी मरीज सामने नहीं आया.
लेकिन, 2 मार्च के बाद से मामलों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती गई। 2 मार्च को कोरोना वायरस के 5 मामले (इसमें 3 केरल के केस, जो अब ठीक हो चुके हैं) थे। इसके बाद 21 मार्च तक 320 नए मामले सामने आए। पिछले 10 दिन में ही 11 मार्च से 21 मार्च के बीच देश में कोरोना के मामलों में 454% की बढ़ोतरी हुई है।
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11 मार्च को 71 मामले थे और 21 मार्च को रात 11 बजे तक कुल 323 केस हो गए। संक्रमण के चलते देश में 4 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। अब तक सबसे ज्यादा 64 मामले महाराष्ट्र में आए हैं। उसके बाद केरल (52 मामले) और दिल्ली (26 मामले) हैं। अभी तक जितने भी लोग कोरोना से संक्रमित मिले हैं, उनमें से ज्यादातर की ट्रैवल हिस्ट्री रही है यानी ये लोग हाल में विदेश से लौटे थे।
अभी अप्रैल महीने तक भारत में करीब 10 हजार केस सामने आ चुके है
जिसमे करीब 270 से अधिक लोगों की मौत भी हो गयी. वही दुनिया भर में करीब एक लाख लोगों की अबतक मौत हो चुकी है. दरअसल इतनी बड़ी रिपोर्ट लिखने का एक मतलब था की आज एक ट्विटर यूजर ने मोदी सरकार पर सवाल उठाये है.
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उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा ” जब भारत में कोरोना 30 जनवरी को प्रवेश कर चुका था फिर 24 फरवरी को लाखों की भीड़ इकट्ठा क्यों की गई, ये सवाल हमेशा पूछा जाता रहेगा”
गौरतलब है की 24 फरवरी को गुजरात के अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम में नमस्ते ट्रम्प का एक विशाल रैली रखा गया था जिसमे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प आये थे सरकार का दावा था की ट्रम्प के स्वागत में एक लाख दस हजार लोग उस कार्यक्रम में शामिल होंगे.
अब इसी को लेकर सवाल उठाया गया है. काकावाणी ने ट्वीट करते हुए यही पूछा की जब देश में कोरोना 30 जनवरी को ही प्रवेश कर गया था तो आपने 24 फरवरी को ट्रम्प के स्वागत में भीड़ क्यों इकट्ठा की.