गोमूत्र से कोई फ़ायदा होता है या नहीं, इसकी वैज्ञानिक पुष्टि भले ही नहीं हुई हो, लेकिन कोरोना वायरस के फैलने के बाद गुजरात में गोमूत्र की माँग काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है। ऐसी रिपोर्टें हैं कि हर रोज़ हज़ारों लीटर की बिक्री हो रही है। इसका इस्तेमाल पीने के लिए ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि शरीर पर स्प्रे करने और सैनिटाइज़र के रूप में हाथ धोने के लिए भी।
गुजरात के बारे में यह रिपोर्ट चौंकाने वाली इसलिए है कि हाल ही में जब कोरोना वायरस ने भारत में पैर पसारना शुरू किया था तब इस गोमूत्र पर काफ़ी विवाद हुआ था और यह देश भर में सुर्खियाँ बना था। कोलकाता में गोमूत्र पीने के बाद एक शख्स बीमार पड़ गया था और उसकी शिकायत पर गोमूत्र पिलाने का सामूहिक आयोजन करने वाले बीजेपी कार्यकर्ता को 17 मार्च को गिरफ़्तार किया गया था।
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तब दिल्ली में भी एक समूह ने गोमूत्र पिलाने का ऐसा ही आयोजन किया था, लेकिन विवाद बढ़ने के बाद फिर ऐसे मामले नहीं आए। हालाँकि इस विवाद में यह बात तो निकलकर आयी ही थी कि गोमूत्र के फ़ायदे की अब तक कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।
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हालाँकि इससे अलग गोमूत्र बेचने वालों का अलग ही तर्क है। वे कहते रहे हैं कि गोमूत्र सभी बीमारियों का इलाज है। ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ की एक अप्रैल की एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष और पूर्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री वल्लभ कथीरिया कहते हैं, ‘गोमूत्र पाचन में सुधार करने के अलावा लिम्फोसाइटों को मज़बूत करता है और यह एंटीऑक्सिडेंट है। गोमूत्र बैक्टीरिया को मारता है और निश्चित रूप से कोरोनो वायरस से लड़ने में यह मददगार होगा’।