सोमवार रात को राजस्थान की राजनीति तब गर्म हो गई जब बाहर से समर्थन दे रहे बसपा के छह विधायक कांग्रेस में बिना शर्त शामिल हो गए. जिसपर बसपा प्रमुख मायावती का गुस्सा फुट गया और कांग्रेस पर उन्होनें बड़े हमले किए। मायावती ने बसपा के छह विधायकों को शामिल होने पर कहा, राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने एक बार फिर बीएसपी के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमन्द व धोखेबाज़ पार्टी होने का प्रमाण दिया है। यह बीएसपी मूवमेन्ट के साथ विश्वासघात है जो दोबारा तब किया गया है जब बीएसपी वहाँ कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी.
वहीं अब मायावती के हमले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार करते हुए कहा, बीएसपी विधायकों ने राज्य में स्टेबल गवर्नमेंट रहे इस सोच के साथ प्रदेश के हित में यह कदम उठाया है, मैं उनका स्वागत करता हूं। हम लोग चुनाव जीत कर आते हैं, पहली सोच यह होनी चाहिए कि स्टेबल गवर्नमेंट कैसे रहे और राज्य प्रगति कैसे करे।
उन्होनें कहा मायावती जी ने जो कहा है, मैं समझता हूं उनका ऐसा रिएक्शन स्वाभाविक है…परंतु उनको यह भी समझना पड़ेगा कि यह सरकार में बैठे हुए लोगों ने मैनेज नहीं किया है, कोई प्रलोभन नहीं दिया है और यह हमारे प्रदेश की खूबी है कि हमने कभी हॉर्स ट्रेडिंग नहीं की है।
पहले भी हम लोग सरकार में थे तब भी बीएसपी के 6 लोग ज्वाइन किए थे, आज तक इतिहास में हमने कभी किसी को प्रलोभन नहीं दिया है यह कोई कम बात है क्या? और यही हमारे विधायक अगर दूसरे राज्यों में होते तो मैं समझता हूं कि बड़े रूप में हॉर्स ट्रेडिंग होती कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
विधायकों ने राजस्थान की स्थिति देखी, क्षेत्र के लोगों की भावनाएं देखी कि हमें काम करवाने हैं, विकास करवाना है, सरकार के साथ जुड़कर करवा सकते हैं और सरकार भी स्टेबल रहनी चाहिए, यह सोच कर उन्होंने फैसला किया, हमने उन पर कोई दबाव नहीं बनाया,उसके बाद फैसला होना स्वाभाविक फैसला है।
देश के अंदर सब पार्टियों के साथ में जब कभी एलायंस हुआ है तो हम तो उन लोगों में है जो सोनिया गांधी जी, राहुल गांधी जी की भावना को समझते हुए, हमेशा मायावती जी के साथ में खड़े मिले हैं…इस बात को वे स्वयं मेरे बारे में जानती हैं।