कोरोना को लेकर जहाँ हर कोई परेशान है वही भारत की इकॉनमी भी धीरे धीरे डूबती जा रही है. हाल के घटनाओं को देखकर ऐसा ही लग रहा हैं. अभी हाल में ही वर्ल्ड बैंक ने भी पूरी दुनिया को चेताया था.
वर्ल्ड बैंक ने अपने ताजा रिपोर्ट में कहा की वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक विकास की दर 30 साल के निचले स्तर पर आ सकती है। विश्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी 1.5 फीसद से 2.8 फीसद के बीच रह सकती है।
बैंक ने कोरोनवायरस महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में मची उथल-पुथल को विकास दर में भारी कमी का कारण बताया है। विश्व बैंक ने अपनी ‘साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट’ में यह बात कही है।
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वही अब भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर HDFC के चैयरमेन दीपक पारेख ने बड़ा बयान दिया हैं. पारेख ने एक वेबिनार में चर्चा के कहा भारतीय बैंकों का 12 लाख करोड़ रुपया एनबीएफसी सेक्टर में एक्सपोजर के रूप में है और यह आईएलएंडएफएस के समय से है।
यह पूरे सेक्टर को क्रेडिट क्राइसिस के रूप में प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने पीएमसी बैंक और आईएल एंड एफएस के लिए भी ऐसा ही किया होता, जिस तरह से सरकार ने सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से यस बैंक संकट को संभालने के लिए किया।
एचडीएफसी समूह के चेयरमैन दीपक पारेख ने सिफारिश की है कि भारत का फाइनेंशियल सेक्टर मजबूत होना चाहिए, वरना अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी। साथ ही उन्होंने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीफएसी को रेगुलेट करने पर जोर दिया है।
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आपको बता दे इससे पहले ब्रिटेन के प्रमुख बैंक बार्कलेज ने कैलेंडर ईयर 2020 में भारत की जीडीपी ग्रोथ शून्य फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
बार्कलेज की ओर से मंगलवार को जारी एक रिसर्च नोट में कहा गया है कि भारत में कोरोनावायरस का संक्रमण अभी आधिकारिक रूप से कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज पर नहीं पहुंचा है। संक्रमण को रोकने के लिए आवागमन पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण अर्थव्यवस्था को होने वाला नुकसान अपेक्षा से कहीं अधिक होगा।
बार्कलेज के अनुसार यह आर्थिक नुकसान 234.4 बिलियन डॉलर (करीब 17 लाख करोड़ रुपए) या जीडीपी के 8.1 फीसदी के बराबर होगा। यह बार्कलेज की ओर से पिछले बार बताए गए 120 बिलियन डॉलर के नुकसान के अनुमान से कहीं ज्यादा है।