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आज भी कुछ भक्त टाइप के लोग मुझसे पूछते है आखिर कांग्रेस ने 70 साल तक राज कैसे कर लिया। यहाँ तो मोदी जी के 5 साल में देश परेशान हो गया है. वो लोग मुझसे कहते है जिन युवाओं ने मोदी को वोट किया आज वही युवा पकोड़े बेचने पर मजबूर गए. जो महिला बीजेपी को वोट की है आज रेप हो रहा है. जिन किसानो ने बीजेपी को वोट किया है आज वही किसान sucide करने को मजबूर है. जिन व्यापारियों ने बीजेपी को वोट दिया है आज वही व्यापारी GST, नोटबंदी से बर्बाद हो गया है.

मैं उनको देखकर मुस्कुरा कर कहता हु बेटा..पिछले 5 साल तो आधार कार्ड, पैन कार्ड, फलाना कार्ड वनबाने में निकाल दिए हो अब 5 साल अपने दादाजी के दादाजी के सर्टिफ़िकेट बनवाने में निकाल देना. यही राज है कांग्रेस को 70 साल राज करने का.

मैं आज उनलोगो को बताना चाहता हु जो आज बीजेपी को वोट पछता रहे है. हिंदी में एक कहावत है ‘जस करनी तस भोग विधाता नरक जात काहे पछताता’ वोः लोग 2014 में जब बीजेपी को वोट दे रहे थे उस समय तो एक बार सोच लेते की तुम्हारे बाप दादा बेवकूफ नहीं थे जो 70 साल से बीजेपी को हारते रहे और कांग्रेस को जिताते रहे. तुम्हरे बाप दादा टीवी और विज्ञापन देखकर वोट नहीं देते थे जैसे आज तुमलोग बीजेपी को वोट देते हो. तुम्हारे बाप दादा पार्टी का काम देखकर, विचार धरा देखकर को वोट करते थे.

खैर कितना समझा भी लो तुमलोगो को समझ तो आएगी नहीं क्युकी धर्म और पाकिस्तान का नशा अफीम के तरह होती है जिसे लत लग गयी वह खत्म हो जाता है. अफीम में भी एक खासियत होती है जब तक आदमी मर ना जाये उसको बहुत अच्छा लगता है. वही हाल तुमलोगो का है. देशभक्ति , आर्टिकल 370 , राम मंदिर, कश्मीर, पाकिस्तान, हिन्दू मुस्लिम और अब #CitizenshipAmendmentBill2019, NRC जैसे बकवास देश तोड़ो कानून पर मोदी की बड़ी जीत मान रहे हो ना याद रखना आने वाले खून कइ आँशु देश को रोना पड़ेगा

जिस तरह नोट बंदी हुआ, GST लाया गया, सरकार के समर्थन से देश भर में जिओ लाया गया उस समय भी हमलोगो ने अपनी आपत्ति दर्ज कराया था की इससे देश को नुकसान होगा। और आज हुआ भी और नुकसान हो रहा है जीडीपी को देख लीजिये कहाँ गिर कर आ गयी है. मोबाइल प्लान रेट को देख लीजिये. आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर की हालत देख लीजिये कितना ख़राब हुआ है. और यह सबसे बड़ी बात बता रहा हु अभी तक तो कश्मीर तक आंदोलन होता था अब देखना कम से कम पांच छह राज्य हेर रोज आंदोलन करेंगे. हालत खराब होगी, खैर भक्तो को क्या है। वह मुर्ख थे मुर्ख है, मुर्ख रहेंगे. बाकी उनके लिए एक स्टोरी लिखा हु पढ़ लीजिये..

एक मूर्गी और एक मालिक देशहित में, पढिए।

मुर्गी अंडे दे रही थी और मालिक बेच रहा था।

मुर्गी देशहित में अंडे दे रही थी।

उसके मालिक ने कहा था-’’आज राष्ट्र को तुम्हारे अंडो की जरूरत है।

यदि तुम चाहती हो कि तुम्हारा घर सोने का बन जाये तो जम के अंडे दिया करो।

आज तक तुमसे अंडे तो लिये गये लेकिन तुम्हारा घर किसी ने सोने का नही बनवाया। हम बनाएंगें। तुम्हारा विकास करके ही छोड़ेंगे।’’

मुर्गी खुशी से नाचने लगी। उसने सोचा देश को मेरी भी जरूरत पड़ती है। वाह मैं एक क्या कल से दो अंडे दूंगी। देश है तो मैं हूं।

वह दो अंडे देने लगी।

मालिक खुश था।

अंडे बेचकर पैसे कमा रहा था। उसने मुर्गी की खुराक कम कर दी।

मुर्गी चौंकी -’’ आज मुझे पर्याप्त खुराक नहीं दी गई। कोई समस्या है क्या ?’’

-’’ देश आज संकट में है। किसी भी मुर्गी को पूरा अन्न खाने का हक नहीं। जब तक एक भी मुर्गी भूखी है मैं खुद पूरा आहार नहीं लूंगा। हम देश के लिए संकट सहेंगे।’’

मुर्गी आधा पेट खाकर अंडे देने लगी।

मालिक अंडे बेचकर अपना घर भर रहा था।

बरसात में मुर्गी का घर नहीं बन पाया।

मुर्गी बोली- -’’ आप मेरे सारे अंडे ले रहे हैं। मुझे आधा पेट खाने को दे रहे है। कहा था कि घर सोने का बनेगा। नहीं बना। मेरे घर की मरम्मत तो करवा दो।’’

मालिक भावुक हो गया। -’’ तुमने कभी सोचा है इस देश में कितनी मुर्गियां हैं जिनके सर पर छत नहीं हैं। रात-रात भर रोती रहती हैं। तुम्हें अपनी पड़ी है। तुम्हें देश के बारे में सोचना चाहिए। अपने लिए सोचना तो स्वार्थ है।’’

मुर्गी चुप हो गई।

देशहित में मौन रहा ही जाता है।

मौन रहना ही पड़ता है नहीं तो देशद्रोही करार दे दिया जाता है।

मौन रहना ही पड़ता है नहीं तो मरना भी पड़ता है।

अब वह अंडे नहीं दे पा रही थी।

कमजोर हो गई थी।

न खाने का ठिकाना न रहने का।

वह बोलना चाहती थी लेकिन भयभीत थी।

वह पूछना चाहती थी कि इतने पैसे जो जमा कर रहे हो। देशहित में कितना लगाया है लेकिन पूछ नहीं पाई।

एक दिन मालिक आया और बोला- -’’ मेरी प्यारी मुर्गी तुझे देशहित में मरना पड़ेगा। देश तुमसे बलिदान मांग रहा है। तुम्हारी मौत हजारों मुर्गियों का जीवन देगा।’’

मुर्गी बोली लेकिन मालिक मैने तो देश के लिय बहुत कुछ किया है, मालिक ने कहा अब तुम्हे शहीद होना पड़ेगा।

बेचारी मुर्गी को अब सब कुछ समझ आ गया था लेकिन अब वक्त जा चुका था और मुर्गी कमज़ोर हो चुकी थी, मालिक ने मुर्गी को बेच दिया।
मुर्गी देशहित में शहीद हो गई…

दीपक राजसुमन की यह निजी राय है. जिसे अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है.

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