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मनमोहन सिंह बोलते थे तब अमेरिका चुपचाप सुनता था, आज अमेरिका बोलता है मोदी चुपचाप सुनते है ऐसा क्यो?

कोरोना का खौफ दुनिया भर में छाया हुआ है. इसको लेकर WHO बार बार सभी देशों से अपील कर रहा है की वह इस वायरस को मजाक में ना ले ये एक आग है इसको राजनितिक करण में ना घसीटे बरना लाशें कम नहीं दिखेगी.

दरसअल – वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन WHO के हेड टेड्रोस एडहानॉम ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था की सभी राजनीतिक दलों का ध्यान अपने लोगों को बचाने पर होना चाहिए। कृपया इस वायरस पर राजनीति न करें।‘……….यदि आप और लाशें नहीं देखना चाहते हैं, तो आप इसका राजनीतिकरण न करें। यह आग से खेलने जैसा है’, ‘‘भगवान की खातिर… कृपया ऐसा न करें।’

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वही सोशल मीडिया पर इसको लेकर पीएम मोदी और ट्रम्प पर यूजर ने निशाना साधा है. एक यूजर ने कोरोना को लेकर ट्वीट करते हुए कहा ” जब डॉ मनमोहन सिंह बोलते थे तब अमेरिका चुपचाप सुनता था अब अमेरिका बोलता है तो मोदीजी चुपचाप सुनते है ऐसा क्यो?”

गौरतलब है की पिछले ही साल अमेरिका और ट्रंप ने भारत को धमकाया था कि ईरान से तेल लेना बंद करो, वरना प्रतिबंध लगा देंगे. अब नया मसला है मलेरिया समेत कुछ दवाओं का. वे खुले शब्दों में धमकी देते हैं और भारत निर्यात से बैन हटा लेता है और इसका बचाव भी किया जा रहा है.

ट्रंप ने कहा, ‘मैंने उनसे (पीएम मोदी) सोमवार सुबह बात की, मैंने कहा कि यदि आप हमारी सप्लाई को आने की इजाजत दें तो हम स्वागत करेंगे. अगर वे आने की इजाजत नहीं देते तो भी कोई बात नहीं, लेकिन निश्चित रूप से हम भी पलटवार कर सकते हैं. ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए?’

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वही इसपर इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ‘पलटवार’ की चेतावनी के कुछ ही घंटों में भारत ने हाइड्रोक्लोरोक्वीन के निर्यात से आंशिक प्रतिबंद हटा लिया है.’

द वायर ने लिखा है, ‘डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मलेरिया रोधी ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ दवा ना देने पर भारत को कड़े परिणाम भुगतने की चेतावनी देने के कुछ घंटों बाद ही मंगलवार को भारत ने कुछ देशों को उचित मात्रा में पैरासीटामॉल और ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ के निर्यात को अस्थायी तौर पर मंजूरी दे दी है’.

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, ‘वैश्विक मामलों के मेरे दशकों के अनुभव में मैंने ऐसा कभी नहीं सुना कि कोई राष्ट्राध्यक्ष या सरकार इस तरह से खुली धमकी दे रही हो. आप भारत के हाईड्रोक्लोरोक्वीन को ‘अवर सप्लाई’ किस तरह से कह सकते हैं मिस्टर प्रेसिडेंट? यह आपकी सप्लाई तब ही होती है, जब भारत इसे आपको बेचने का निर्णय लेता है.’