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बर्बादी की और बढ़ रहा है भारत, RBI से मोदी सरकार ने फिर माँगा 10 हजार करोड़

देश की तरफ जा रहा है सायद यह सरकार को भी समझ नहीं आ रहा है. कब कौन सा फैसले लेना है कौन सा नहीं. कई बार इसको लेकर कांग्रेस नेता पी चिदम्वरम और मन मोहन सिंह जैसे नेताओ ने इस सरकार को आगाह किया की आप जानकार लोगो से देश की इकॉनमी के बारे में सलाह लीजिए। जब तक उन लोगो से सलाह नहीं लेंगे देश की इकॉनमी पटरी पर आ ही नहीं सकता। लेकिन यह सर्कार सुनने को तैयार नहीं।

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अब एक और खबर आ रही है की मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से 10 हजार करोड़ रुपये के अंतरिम लाभांश की मांग की है। सरकार ने आरबीआई से इस रकम की मांग आम बजट से ठीक पहले की है। बताया जा रहा है कि सरकार चालू वित्तवर्ष 2019-20 के लिए पहले तय अपने राजस्व वसूली के लक्ष्य से काफी पीछे रह गई है और इसी अंतर को पाटने के लिए सरकार आरबीआई से अंतरिम लाभांश की मांग कर रही है।

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हालांकि, खबर है कि सरकार की मांग पर आरबीआई ने अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया है। माना जा रहा है कि 15 फरवरी को नई दिल्ली में होने वाली आरबीआई की केंद्रीय बोर्ड की बैठक में इस मांग पर कोई फैसला हो सकता है।

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कहा जा रहा है कि विभिन्न टैक्स मदों के जरिये राजस्व वसूली के तय लक्ष्य से पीछे रहने और विनिवेश से प्राप्त होने वाली आय में भारी कमी की वजह से सरकार अपने खजाने में भारी कमी से जूझ रही है। इसी बीच 1 फरवरी, 2020 को सरकार को बजट पेश करना है। और अब इसके लिए सरकार को आरबीआई के लाभांश का सहारा है।

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बता दें कि यह लगातार तीसरा साल है, जब सरकार ने आरबीआई से अंतरिम लाभांश की मांग की है। इससे पहले बीते साल फरवरी में आरबीआई ने सरकार की माग पर 28 हजार करोड़ रुपए का लाभांश दिया था। उससे ठीक पहले इसी वित्त वर्ष में आरबीआई ने सरकार को 40,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश हस्तांतरित किया था।

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जिससे चालू वित्त वर्ष में सरकार को आरबीआई से कुल 68,000 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। सरकार द्वारा आरबीआई से लाभांश लेने की यह परिपाटी 2016-17 में शुरू हुई थी, जब आरबीआई ने सरकार को 10 हजार करोड़ रुपए का लाभांश दिया था।